नई दिल्ली। 2002 के दंगों में गैंगरेप की पीड़ित बिलकिस बानों ने बलात्कार के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसको शनिवार में न्यायालय ने खारिज कर दिया है। गुजरात सरकार ने मामले में लिप्त 11 दोषियों की सजा माफ कर दी थी और इसी साल 15 अगस्त को सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया था।

क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को बिलकिस बानों की उस याचिका को खरिज कर दिया है जिसमें उसने गैंगरेप मे लिप्त 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा माफ करने के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया गया था।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय सुनाने वाले जज अपने कक्ष में विचार करते हैं। यह याचिका जस्टिस जय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच के समक्ष 13 दिसंबर को जारी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट नें दायर उक्त पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।

21 वर्ष की थी बिलकिस बानो

2002 में गुजरात दंगो के समय बिलकिस बानो की उम्र 21 वर्ष थी और वह पांच महीने की गर्भवती भी थी। हम आपको बता दें की इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमें की सुनवाई महाराष्ट्र की एक अदालत मे स्थानांतरित कर दी थी। मुंबई की सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था।
इस मामले में दोषी ठहराए गए सभी 11 लोगों को गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत गोधरा उप-जेल से रिहा करने की अनुमति दे दी गई थी।


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