गुरुग्राम, 13 मार्च 2024: रामनगर, उत्तराखंड के एक बहादुर युवा की स्कूल से वापस जाते समय एक खूँखार बाघ से मुठभेड़ हो गई, और उसके जानलेवा हमले से वह बुरी तरह से घायल हो गया। लेकिन सभी चुनौतियों के बाद भी कई रि-कंस्ट्रक्टिव सर्जरी की मदद से उसकी जान बच गई।

नवंबर, 2023 की एक दोपहर को, 17 साल का अंकित अपने दोस्तों के साथ स्कूल से लौट रहा था, तभी पेड़ पर बैठे एक बाघ ने पीछे से उस पर हमला कर दिया, और उसके सिर एवं गर्दन को अपने मुँह में दबोच लिया। किसी तरह बाघ की पकड़ ढीली हो गई, और मौक़े का फायदा उठाते हुए अंकित ने अपने दाहिने हाथ से बाघ की जीभ खींच ली।

ये वाक्य बहादुरी तथा सूझबूझ का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। समय रहते अंकित बाघ की पकड़ से भागने में कामयाब रहा, जिसके कारण उसकी और उसके साथियों की जान भी बच सकी। लेकिन बाघ के हमले की वजह से उसके चेहरे, गर्दन, सिरऔर दाहिने हाथ में गंभीर चोटें आईं। उसके दोस्त उसे नजदीकी चिकित्सा सुविधा में ले गए, जहाँ पहले उसकी हालत को स्थिर किया गया। फिर चोटों की गंभीरता को देखते हुए उसे स्थानीय बड़े चिकित्सा केंद्र भेजा गया, जहां उसे प्रारंभिक इलाज मिला। फिर उसे मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में रेफर कर दिया गया। मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में उसे इलाज और रि-कंस्ट्रक्टिव सर्जरी के लिए डॉ आशीष ढींगरा और डॉ. योगिता पितले, सलाहकार एनेस्थीसिया के निर्देशन में प्लास्टिक सर्जरी विभाग में भर्ती कर लिया गया।

जब अंकित को हॉस्पिटल लाया गया तब हर कोई यह जानकर हैरान था कि उसने खुद को बाघ के मुँह से कैसे बचाया। उसका बहुत खून बह गया था और भर्ती होने पर उसका केवल 3HB था, उसका सिर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त था, उसका दाहिना कान लटक रहा था, शेर ने उसके चेहरे पर अपना पंजा मार दिया था, और उसके दाहिने हाथ का अंगूठा अंशतः कट गया था।

इस मामले में मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जन, डॉ. आशीष ढींगरा ने बताया, “जब मरीज को यहाँ लाया गया, तब उसके सिर, चेहरे, गर्दन और हाथ में गंभीर चोटें आई थीं। उसके घावों पर अभी भी उस जगह की मिट्टी और पत्तियाँ चिपकी थीं, जहाँ उसने अपनी जान बचाने के लिए बाघ के साथ संघर्ष किया था। उसे रि-कंस्ट्रक्टिव सर्जरी की जरूरत थी। हमने उसके सिर और हाथ को बचाने के लिए महीनों तक कई सर्जरी कारण। अभी इन अंगों से दाग हटने और उनके पूरी तरह से काम करने में कुछ महीने और लगेंगे। सर्जरी की पूरी प्रक्रिया में और ऑपरेशन के दौरान अंकित ने बहुत बहादुरी दिखाई और हमारी मेडिकल टीम को पूरा सहयोग दिया।“

इस घटना को अब 4 महीने बीट चुके हैं। अंकित स्वस्थ हो रहे हैं। उनके सिर, चेहरे और हाथ की चोटें ठीक हो गई हैं, और ‘हर दिन उनमें सुधार आ रहा है’। वो अपना सामान्य जीवन फिर से शुरू कर चुके हैं।

मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम के हॉस्पिटल डायरेक्टर, श्री नवीन पास्कल ने कहा, “ऐसे गंभीर मामलों में सर्जरी के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण रखना पड़ता है। हमें अपने डॉक्टरों पर गर्व है, जो जरूरतमंदों को न सिर्फ आशा, बल्कि नया जीवन भी देते हैं। रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी आमतौर से कठिन होती हैं। लेकिन डॉ. आशीष और उनकी टीम ने बहुत ही सराहनीय काम किया। हम इस युवा लड़के की हिम्मत को भी सलाम करते हैं। उनकी सूझबूझ ने न केवल उनकी जान बचाई है, बल्कि वन्यजीवों से मुठभेड़ वाले इलाक़ों में जागरूकता और तैयारी बनाए रखने की जरूरत को भी प्रदर्शित किया है।”
इस मामले ने मणिपाल हॉस्पिटल की क्षमताओं को उजागर कर दिया, जो अद्वितीय चिकित्सा मामलों को संभालने की अपनी विशेषज्ञता के लिए मशहूर है। इस मामले में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी आधुनिक हेल्थकेयर की मेडिकल टीम की प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई है, जिसकी मदद से अंकित की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी हो सकी और उसे अपना सामान्य जीवन वापस मिल सका।


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By admin

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