भारत की बेटी रेसलर विनेश फोगाट ने कुश्ती से संन्यास ले लिया है। विनेश ने लिखा- “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना और मेरी हिम्मत सब टूट चुके हैं। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब।
अलविदा कुश्ती “2001-2024″, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी, क्षमा करना।” विनेश फोगाट महज 9 साल की थी, जब उनके पापा की जमीनी विवाद को लेकर हत्या कर दी गई। यहां से विनेश की पूरी देख-रेख और पालन-पोषण उनकी मां प्रेमलता ने किया। ताऊ महावीर फोगाट जी से उन्होंने कुश्ती के दांव-पेंच सीखने शुरू किए। अपनी कजन फोगाट बहनों के साथ उन्होंने प्रैक्टिस की।
साल 2016 में रियो ओलंपिक्स में विनेश ने 48Kg वेट कैटेगरी में भाग लिया। उस वक्त वह जबरदस्त फॉर्म में थी, लेकिन क्वॉर्टर-फाइनल में उनके घुटने में चोट लग गई और उसके बाद बाहर हो गई। पता चला कि उनके दाहिने घुटने में लिगामेंट टीयर हुआ है। इसके बाद सर्जरी हुई और नौ महीनों तक कुश्ती के खेल से दूर रहना पड़ा। फिर आया साल 2017 में एशियन चैंपियनशिप के सिल्वर मेडल के साथ धमाकेदार वापसी की। साल 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। इसी साल एशियन गेम्स का गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर भी बन गई। टोक्यो ओलंपिक में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और ओलंपिक में मेडल का सपना अधूरा ही रहा।
पेरिस ओलंपिक में विनेश मेडल जीतकर भी हार गईं। ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना फिर टूट गया, वो खुद भी टूट गई अब हिम्मत नहीं रही। उसके पास एशियन गेम्स, कॉमलवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप के ढ़ेरों मेडल की लाइन लगी पड़ी हैं लेकिन ओलंपिक का मेडल नहीं है, इसके बिना उसे यह सब कुछ अधूरा लगता है, यह चीज उसे हमेशा दर्द देती ही रहेगी। विनेश फोगाट पर अब कोई ये तो अंगुली नहीं उठा सकता है कि तुम एक अच्छी रेसलर नहीं हो क्योंकि उसने साबित करके दिखा दिया है, बस अपनी किस्मत से हार गई। विनेश फोगाट को अभी संन्यास नहीं लेना चाहिए। देश को अपनी प्यारी बेटी से बहुत उम्मीदें हैं।
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