शास्त्रानुसार वर्ष में चार नवरात्रि कही गई है।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से वासंतिक नवरात्रि तथा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि है जिसमें दो नवरात्रि आम जनमानस के लिए तथा दो नवरात्रि गुप्त कही गई है जो कि देवताओं एवं साधकों के लिए कही गई है।
एक गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को तथा दूसरी नवरात्रि माघ शुक्ल प्रतिपदा को होती है।
इस वर्ष आषाढ़ मास की नवरात्रि 30 जून 2022 गुरुवार से 8 जुलाई 2022 शुक्रवार तक है।
गुप्त नवरात्रि में साधक मां आदि शक्ति के प्रसन्नार्थ करते हैं दस महाविद्याओं की साधना:
आषाढ़ मास की नवरात्रि में साधक जन मनोकामना पूर्ति के लिए एवं मां आदि शक्ति के प्रसन्नार्थ मां काली,तारा देवी,त्रिपुर सुंदरी,भुवनेश्वरी,माता छिन्नमस्ता,त्रिपुर भैरवी,मां ध्रूमावती,माता बगलामुखी,मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
इस नवरात्रि पर्व में मां दुर्गा जी की दस महाविद्या के स्वरूप में आराधना की जाती है समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए माँ की गुप्त रूप से साधना होती है।इस नवरात्रि में अधिकांश साधक तांत्रिक पूजन से भी मां भगवती की आराधना करके प्रसन्न करते हैं।साथ ही अनेक प्रकार की वैदिक साधनायें भी की जाती हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ एवं बीज मंत्र के जाप से होती है कामना पूर्ति:
इस नवरात्रि में भी भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए दुर्गा सप्तशती पाठ,बीज मंत्र का जाप,हवन आदि करके अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं।
अनेक प्रकार के कार्य सिद्धि के लिए शास्त्रों में विविध प्रकार के मंत्र एवं बीज मंत्र बताए गए हैं।
किसी योग्य विद्वान से मंत्र आदि के विषय में सविधि जानकारी करके ही साधना प्रारंभ करें।
भक्त जन अपनी मनोकामना पूर्ति एवं मां भगवती के प्रसन्नार्थ योग्य विद्वान ब्राह्मण से भी पाठ,जाप हवन आदि करा सकते हैं।
मां आदि शक्ति की आराधना भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करके अपना आश्रय प्रदान करती है।
आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक”
(ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र एवं वैदिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ)
प्रयागराज।
संपर्क सूत्र – 09956629515
08318757871
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