धार से राहुल सिंह चौहान

बदनावर ,शिवमहापुराण की कथा कहती है केवल शिव को पाने की पुण्यायी है। जिसके भीतर भगवान को पाने की ललक , इच्छा, चरण पाने की इच्छा बढ़ जाती है। . उसके लिए भगवान भी उसको पाने की इच्छा बढ़ा देता है। परमात्मा को चढ़ाए जाने वाले जल में छल नही होना चाहिए। हदय, दिल, भाव, मन से भगवान को समर्पित करना चाहिए। उक्त प्रवचन ख्याति प्राप्त कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने अति प्राचीन कोटेश्वर महादेव धाम में स्व शिवकुमारसिंह सिसोदिया एवं स्व ओमप्रकाश पांडे की स्मृति में शरदसिंह सिसोदिया परिवार द्वार आयोजित की जा रही पंचपुष्प शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन रविवार को व्यक्त किए।
आपने कहा कि शंकर भगवान पर गंगाजल चढ़ाए तो क्या भगवान प्रसन्न अधिक होते शिवमहापुराण कथा कहती है एक लौटा जल महादेव को चढा रहे है यदि वह शिवलिंग से छू गया तो अपने आप ही गंगाजल बन जाता है।
जैसा आप शुद्ध खाते है वैसा ही भगवान को शुद्ध और सच्चे मन से अर्पण करे। चाहे एक चावल का दाना चढ़ाना तो वह भी जो आप खाते है वैसा ही शंकरजी को चढ़ाते हो तो वे प्रसन्न हो जाएंगे। केमिकल युक्त व अशुद्ध वस्तु अर्पण करने से भगवान को भी कष्ट होता है। कर्मो की संपदा होती है करोड़ों की नही। परमात्मा ने पेट दिया है तो भरने की व्यवस्था भी करी हैं।
मनुष्य को नेत्र दर्शन के लिए, कान श्रवण करने, चरण मदिर जाने, शीश झुकाने एवं हाथ दिए है दान करने के लिए। मदिर मंे प्रवेश नही कर सकते हो बाहर से मुस्कुरा देना ये भी नही कर सकते है तो जहंा खड़े हो वहीं से शिखर दर्शन कर लेना। जिसके भीतर भगवान को पाने की इच्छा
एक अन्न के दाने को पकाने में काफी मेहनत लगती है पसीना बहाना पड़ाता है जब पका हुआ धान उसके निवाले के साथ शरीर के अंदर जाता है तब उसकी आंखों से आंसू के साथ पसीने की महक भी होती है। हे प्रभु जितना भी देना भाग्य का देना, दूसरे के नसीब का मत देना। व्यक्ति ने जमीन मकान, वंश बढ़ा लिया, दुनिया का सामान बढ़ा लिया लेकिन भजन एवं विश्वास नही बढ़ाया। एक लौटा जल कलयुग को रोकने का सामर्थ्य रखता है। संस्कार दोगे तो अंतिम संस्कार होगा। जिस गांव मंे पानी की कमी होती है वहां की फसल बिगड़ जाती है तथा जिस घर में संस्कार की कमी होती है उसकी नस्ल बिगड़ जाती है। संस्कार दोगे तो अंतिम संस्कार होगा। यदि जिदंगी आनलाईन मंे उलझती रही हो तो अंतिम संस्कार भी आनलाईन होगा। पिता दुनिया की वो संपत्ती है जिसके पास कुछ नही होता है फिर भी वह चैन की नींद सोता है।

सिसोदिया परिवार धन्यवाद का पात्र है
अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथावाचक मिश्रा ने कहा कि आयोजक शरदसिंह सिसोदिया को धन्यवाद देना चाहता हू जिनके कारण लाखों लोग शिवमहापुराण कथा सुन पा रहे है।
मीडिया प्रभारी गोवर्धनसिंह डोडिया ने बताया कि आस्था टीवी पर 8 लाख, पंडित मिश्रा के यू टयूब चैनल लाईव पर 4 लाख, आस्था लाईव 2 लाख श्रद्धालू कथा श्रवण का लाभ ले रहे है। इस प्रकार तकरीबन 15 लाख वर्चुअल कथा का लाभ ले रहे है।

शमी जिसमें कांटे लगे है उसको लोग खेजड़ी भी कहते है। शमी का जो फूल होता है वह गुलाबी कलर का होता है। शमी के वृक्ष को प्रणाम कर भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई कर विजय प्राप्त की थी। स्वर्ण की कीमत से पूर्ण हो एक शमी का पत्ता होता है। विजयादशमी के दिन शमी का पत्ता लोगों को दिया जाता है। इस दिन शमी के पत्ते के साथ शस्त्रों की पंूजा करने से संपदा की कमी नही होतीे। पंचपुष्प कथा के तीसरे दिन शमी का पुष्प् का वर्णन सुनाया। प्रथम पारिजात, ़िद्वतीय कनेर तथा तीसरा शमी का पुष्प है।

जल को आंखों में क्यांे लगाया जाता है क्योकि कालोच अपने नैन में रहंेंगे तो सामने वाले में आलोच नजर नही आएगा। इसको नयन में ही रहने देंगे तो दूसरों में आलोच नजर नही आएगा और न ही दूसरों को अपने में। कथा के तीसरे दिन निजी विद्यालय संघ के संचालकगण, प्रशासनिक अमला आदि ने मंच पर प्रदीप मिश्रा से आशीष प्राप्त किया। कथा के दौरान आयोजक सिसोदिया परिवार ने परिसर में भ्रमण कर उपस्थित जनसमुदाय का अभिवादन किया। तीसरे दिन भी जमीन पर बैठकर कथा श्रवण की। कथा के पश्चात राज्यमंत्री राजेश अग्रवाल, पूर्व विधायक बालमुकुंदसिंह गौतम, मनोजसिंह गौतम, कमलसिंह पटेल, अमित जैन विक्की आदि ने आरती में लाभ लिया। इससे पूर्व शनिवार को तहसील के विभिन्न मंदिरों के पूजारियों का सम्मान किया गया।
तीसरे दिन बढ़ाए टेंट
दो दिन की कथा के पश्चात तीसरे दिन रविवार को 12 हजार वर्ग फुट का पांडाल अतिरिक्त रूप से बढ़ाया गया। किंतु यह पांडाल भी रविवार को छोटा पड़ गया और कई श्रद्धालुओं ने तपती धूप में खड़े रहकर कथा का रसपान किया।
संलग्न चित्र

पहले आराम में रहने वाले, मठमंदिर में रहने वाले, सत्संग में रहने वाले साधु संत उपासक इन पर रामायण से मतलब रहता था। धीरेधीरे भगावन का भजन छोडकर कहीं न कहीं संसार के लोगों में प्रवेश करते गए। गीता छूटती गई जो तप करते रहे वह धीरे धीरे संसार में रमते चले गए। पहेल राम कृष्ण को पकडते थे ंिकंतु आजकल के लोग किसी सत्ताधारी को पकड़ने लग गए।
एक-एक व्यक्ति की दो दो दुकाने है, घर के सब लोग काम करते है, सभी कमाते है लेकिन फिर भी घर का हंडा नही भर पाता है। घर में रोग, क्लेश, अशांति है, पढ़ाई भी अच्छी चल रही है उसके बाद भी घर में शांति नही है। किसके लिए भागदौड़ कर रहे है बड़े बड़े शहरों में लोग सुबह 8 से घर से निवकलते है 11 बजे पहुंचते है और शाम 6 निकलते है तो रात 10 बजे घर तक पहुंचता है। फिर उठा फिर चल दिया। परिवार का हंडा भी कितना भरना चाहो किंतु वह जिदंगी भर नही पर आएगा। एक फरमाईश पूरी होगी दूसरी आ जाएगी। इस परिवार को हंडे को पांच कर्म को इसको ले जाकर महादेव को वापस दे दो। जितना तू दे मेरे भाग्य का देना वही करोड़ों की दौलत हो जाए। हमे धन तो देना तो किस्मत का हो भाग्य को किसी दूसरें का मत देना।
ळम दुनिया को संतुष्ट करने चले, मैने तूझे जनम तेरे लिए दिया है किसी दूसरे के लिए नही। जन्म और
खूब व्यापार बढ़ाया, जमीन बढ़ा ली, मकान बड़ा लिया दुनिया का सामान बढ़ा लिया लेकिन यदि जीवन में भजन नही किया भक्ति नही तो उद्धार संभव नही। यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ भक्ति में रम गए तो जीवन सार्थक हो जाएगा।

चोरों ने कितनी भी चोरी की होगी, धन इकटठा किया होगा लेकिन वे आज भी चोटटे की कहलाते है। उसने तो चोरी की थी लेकिन तुमने से कर्म भाग्य से कमाया थ्
जिसने खोया था उसने तो फिर से कमा लिया लेकिन जिसने चुराया वो आज तक चोटटा ही रह गया।
सबको संतुष्ट करना बहुत कठिन है। परिवार में
बाबा भोलेनाथ कहते है कि पेट मैने दिया तो भर में दूंगा। एक परिवार रूपी हंडे को भरने के लिए बेटे, परिवार, रिश्तेदार के लिए कुछ करनाा है इस परिवार के हंडे केा जितना भी भरने का प्रयास करों यह कभी भर नही पाता है। खेत में गेहूं चना काट रहा है एक किसान से दुनिया के लोग किसान सबसे ज्यादा सुखी रहता है उसका शरीर को देखना तपता हुआ मिलेगा। एक दाना भी मेहनत से जब कम मिलती है तेा उसकी आंखों में आंसू आ जाते है। आखिरी में भगवान पर छोड़ देता है कि अब तेरे भरोसे है। उसके बाद भी वह मेहनत करता रहता है किसान, जितना परिवार वाले एश की जिंदगी जीते होंगे किसान ख्ेात में काम करता है पसीना बहाता है। इतनी मेहनत अपने परिवार का हंडा भरने के लिए करता है।
अर्जुन, नकल, सहदेव, युधिष्ठिर सब पांडवों ने देखा की गाय बछिया का दूध पी रही है।
अर्जुन कलयुग की लीला चालू हो गया है इसका माता पिता बेटी को जन्म देंगे और वह कमा कर लाएगी और वह घर चलाएंगी।
पत्नी, बच्च.े, भोजन पानी घर इतने 84 लाख योनिजों में जम्न लेगं तेा सब कुछ मिलेगा पर हर जन्म शिवमहापुराण कथा की नही मिलेगी। मनुष्य की देह के लिए यह कथाहै। जब एक बार हम स्मरण कर लेते है शव भक्ति में रम जाते है तेा फिर हम विकारों मंे नही फसते। ंमन में आसक्ती जागे तो प्रयास करे कि हम भक्ति की और जाए। यह कथा हमारे जीवन का चरित्र है इसको ध्यान से सुनना। बहुत समय की कीमत समझना उसको जानने का प्रयास करना। जिसके पास संतोष रूपी धन होता है जिसके पास एक रूपया भी है उसमें प्रसन्ज्ञनता है बहुत मिलने के बाद भी उसको संतोष नही है तो वह दुखी है।
जिसने अभिलाषा करी वो दुखी है और जिसने नही की वो सुखी होता है।
भगवान का भजन करने वाला, आनंदमय रहने वाला, शिवजी का भक्त
बडी मुश्किल से पांच दिन की कथा दूसरी चीजों को
एक-एक पल एक घडी का जो समय दिया है उसकाो अअगर कोई रोग लग जाता है मन में कहीं न टीस मन के अंदर कोई रोग लग जाता है तो उसका कोई इलाज नही है। उसका कोई इलााज है तो शिवमहापुरारण कथा ही है।
शरीर के रोग को औषणियणें से मिटाया जा सकहा है किंतु मन का जो रोग है उसको मिटाने के लिए कोई दूसारी औषधी नही है। केवल एक औषधी है धर्म ध्यान शिवमहापुराण कथा सुनने की। पने जीवन में उतार लो। शरीर में केाइ्र बामारी हो तो उसका इलाज भी संभव है। पर मन में
आठ दूरबीन से नजर रख रहे है, सीसीटीवी कैमरे
कथा पांडाल 11 हजार 350 वर्ग फीट का बढ़ाया गया। अब पांडाल में बैठने की क्षमता डेढ़ लाख हो गई।
एडीजे, सीजेएम ने कथा वाचक का स्वागत किया।
पांडाल बढ़ाने के बाद भी कई श्रद्धालूओं ने तपती धूप में खड़े रहकर कथा श्रवण की।
श्री

बदनावर। शिवमहापुराण की कथा कहती है केवल शिव को पाने की पुण्यायी है। जिसके भीतर भगवान को पाने की ललक , इच्छा, चरण पाने की इच्छा बढ़ जाती है। . उसके लिए भगवान भी उसको पाने की इच्छा बढ़ा देता है। परमात्मा को चढ़ाए जाने वाले जल में छल नही होना चाहिए। हदय, दिल, भाव, मन से भगवान को समर्पित करना चाहिए। उक्त प्रवचन ख्याति प्राप्त कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने अति प्राचीन कोटेश्वर महादेव धाम में स्व शिवकुमारसिंह सिसोदिया एवं स्व ओमप्रकाश पांडे की स्मृति में शरदसिंह सिसोदिया परिवार द्वार आयोजित की जा रही पंचपुष्प शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन रविवार को व्यक्त किए।
आपने कहा कि शंकर भगवान पर गंगाजल चढ़ाए तो क्या भगवान प्रसन्न अधिक होते शिवमहापुराण कथा कहती है एक लौटा जल महादेव को चढा रहे है यदि वह शिवलिंग से छू गया तो अपने आप ही गंगाजल बन जाता है।
जैसा आप शुद्ध खाते है वैसा ही भगवान को शुद्ध और सच्चे मन से अर्पण करे। चाहे एक चावल का दाना चढ़ाना तो वह भी जो आप खाते है वैसा ही शंकरजी को चढ़ाते हो तो वे प्रसन्न हो जाएंगे। केमिकल युक्त व अशुद्ध वस्तु अर्पण करने से भगवान को भी कष्ट होता है। कर्मो की संपदा होती है करोड़ों की नही। परमात्मा ने पेट दिया है तो भरने की व्यवस्था भी करी हैं।
मनुष्य को नेत्र दर्शन के लिए, कान श्रवण करने, चरण मदिर जाने, शीश झुकाने एवं हाथ दिए है दान करने के लिए। मदिर मंे प्रवेश नही कर सकते हो बाहर से मुस्कुरा देना ये भी नही कर सकते है तो जहंा खड़े हो वहीं से शिखर दर्शन कर लेना। जिसके भीतर भगवान को पाने की इच्छा
एक अन्न के दाने को पकाने में काफी मेहनत लगती है पसीना बहाना पड़ाता है जब पका हुआ धान उसके निवाले के साथ शरीर के अंदर जाता है तब उसकी आंखों से आंसू के साथ पसीने की महक भी होती है। हे प्रभु जितना भी देना भाग्य का देना, दूसरे के नसीब का मत देना। व्यक्ति ने जमीन मकान, वंश बढ़ा लिया, दुनिया का सामान बढ़ा लिया लेकिन भजन एवं विश्वास नही बढ़ाया। एक लौटा जल कलयुग को रोकने का सामर्थ्य रखता है। संस्कार दोगे तो अंतिम संस्कार होगा। जिस गांव मंे पानी की कमी होती है वहां की फसल बिगड़ जाती है तथा जिस घर में संस्कार की कमी होती है उसकी नस्ल बिगड़ जाती है। संस्कार दोगे तो अंतिम संस्कार होगा। यदि जिदंगी आनलाईन मंे उलझती रही हो तो अंतिम संस्कार भी आनलाईन होगा। पिता दुनिया की वो संपत्ती है जिसके पास कुछ नही होता है फिर भी वह चैन की नींद सोता है।

सिसोदिया परिवार धन्यवाद का पात्र है

अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथावाचक मिश्रा ने कहा कि आयोजक शरदसिंह सिसोदिया को धन्यवाद देना चाहता हू जिनके कारण लाखों लोग शिवमहापुराण कथा सुन पा रहे है
मीडिया प्रभारी गोवर्धनसिंह डोडिया ने बताया कि आस्था टीवी पर 8 लाख, पंडित मिश्रा के यू टयूब चैनल लाईव पर 4 लाख, आस्था लाईव 2 लाख श्रद्धालू कथा श्रवण का लाभ ले रहे है। इस प्रकार तकरीबन 15 लाख वर्चुअल कथा का लाभ ले रहे है।

कथा के तीसरे दिन बताया शमी का महत्व

शमी जिसमें कांटे लगे है उसको लोग खेजड़ी भी कहते है। शमी का जो फूल होता है वह गुलाबी कलर का होता है। शमी के वृक्ष को प्रणाम कर भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई कर विजय प्राप्त की थी। स्वर्ण की कीमत से पूर्ण हो एक शमी का पत्ता होता है। विजयादशमी के दिन शमी का पत्ता लोगों को दिया जाता है। इस दिन शमी के पत्ते के साथ शस्त्रों की पंूजा करने से संपदा की कमी नही होतीे। पंचपुष्प कथा के तीसरे दिन शमी का पुष्प् का वर्णन सुनाया। प्रथम पारिजात, ़िद्वतीय कनेर तथा तीसरा शमी का पुष्प है।

काजल को आंखों में क्यों लगाया जाता है, क्योकि कालोच अपने नैन में रहेंगे तो सामने वाले में आलोच नजर नही आएगा और न ही दूसरों को अपने में। कथा के तीसरे दिन निजी विद्यालय संघ के संचालकगण, प्रशासनिक अमला आदि ने मंच पर प्रदीप मिश्रा से आशीष प्राप्त किया। कथा के दौरान आयोजक सिसोदिया परिवार ने परिसर में भ्रमण कर उपस्थित जनसमुदाय का अभिवादन किया। तीसरे दिन भी जमीन पर बैठकर कथा श्रवण की। कथा के पश्चात राज्यमंत्री राजेश अग्रवाल, पूर्व विधायक बालमुकुंदसिंह गौतम, मनोजसिंह गौतम, कमलसिंह पटेल, अमित जैन विक्की,मनीष बोकड़िया, आदि ने आरती में लाभ लिया। इससे पूर्व शनिवार को तहसील के विभिन्न मंदिरों के पूजारियों का सम्मान किया गया

तीसरे दिन बढ़ाया टेंट

दो दिन की कथा के पश्चात तीसरे दिन रविवार को 12 हजार वर्ग फुट का पांडाल अतिरिक्त रूप से बढ़ाया गया। किंतु यह पांडाल भी रविवार को छोटा पड़ गया और कई श्रद्धालुओं ने तपती धूप में खड़े रहकर कथा का रसपान किया।

पहले आराम में रहने वाले, मठमंदिर में रहने वाले, सत्संग में रहने वाले साधु संत उपासक इन पर रामायण से मतलब रहता था। धीरेधीरे भगावन का भजन छोडकर कहीं न कहीं संसार के लोगों में प्रवेश करते गए। गीता छूटती गई जो तप करते रहे वह धीरे धीरे संसार में रमते चले गए। पहेल राम कृष्ण को पकडते थे ंिकंतु आजकल के लोग किसी सत्ताधारी को पकड़ने लग गए।
एक-एक व्यक्ति की दो दो दुकाने है, घर के सब लोग काम करते है, सभी कमाते है लेकिन फिर भी घर का हंडा नही भर पाता है। घर में रोग, क्लेश, अशांति है, पढ़ाई भी अच्छी चल रही है उसके बाद भी घर में शांति नही है। किसके लिए भागदौड़ कर रहे है बड़े बड़े शहरों में लोग सुबह 8 से घर से निवकलते है 11 बजे पहुंचते है और शाम 6 निकलते है तो रात 10 बजे घर तक पहुंचता है। फिर उठा फिर चल दिया। परिवार का हंडा भी कितना भरना चाहो किंतु वह जिदंगी भर नही पर आएगा। एक फरमाईश पूरी होगी दूसरी आ जाएगी। इस परिवार को हंडे को पांच कर्म को इसको ले जाकर महादेव को वापस दे दो। जितना तू दे मेरे भाग्य का देना वही करोड़ों की दौलत हो जाए। हमे धन तो देना तो किस्मत का हो भाग्य को किसी दूसरें का मत देना।
ळम दुनिया को संतुष्ट करने चले, मैने तूझे जनम तेरे लिए दिया है किसी दूसरे के लिए नही। जन्म और
खूब व्यापार बढ़ाया, जमीन बढ़ा ली, मकान बड़ा लिया दुनिया का सामान बढ़ा लिया लेकिन यदि जीवन में भजन नही किया भक्ति नही तो उद्धार संभव नही। यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ भक्ति में रम गए तो जीवन सार्थक हो जाएगा

चोरों ने कितनी भी चोरी की होगी, धन इकटठा किया होगा लेकिन वे आज भी चोटटे की कहलाते है। उसने तो चोरी की थी लेकिन तुमने से कर्म भाग्य से कमाया थ्
जिसने खोया था उसने तो फिर से कमा लिया लेकिन जिसने चुराया वो आज तक चोटटा ही रह गया।
सबको संतुष्ट करना बहुत कठिन है। परिवार में
बाबा भोलेनाथ कहते है कि पेट मैने दिया तो भर में दूंगा। एक परिवार रूपी हंडे को भरने के लिए बेटे, परिवार, रिश्तेदार के लिए कुछ करनाा है इस परिवार के हंडे केा जितना भी भरने का प्रयास करों यह कभी भर नही पाता है। खेत में गेहूं चना काट रहा है एक किसान से दुनिया के लोग किसान सबसे ज्यादा सुखी रहता है उसका शरीर को देखना तपता हुआ मिलेगा। एक दाना भी मेहनत से जब कम मिलती है तेा उसकी आंखों में आंसू आ जाते है। आखिरी में भगवान पर छोड़ देता है कि अब तेरे भरोसे है। उसके बाद भी वह मेहनत करता रहता है किसान, जितना परिवार वाले एश की जिंदगी जीते होंगे किसान ख्ेात में काम करता है पसीना बहाता है। इतनी मेहनत अपने परिवार का हंडा भरने के लिए करता है।
अर्जुन, नकल, सहदेव, युधिष्ठिर सब पांडवों ने देखा की गाय बछिया का दूध पी रही है।
इसका माता पिता बेटी को जन्म देंगे और वह कमा कर लाएगी और वह घर चलाएंगी।
पत्नी, बच्च.े, भोजन पानी घर इतने 84 लाख योनिजों में जम्न लेगं तेा सब कुछ मिलेगा पर हर जन्म शिवमहापुराण कथा की नही मिलेगी। मनुष्य की देह के लिए यह कथाहै। जब एक बार हम स्मरण कर लेते है शिव भक्ति में रम जाते है तेा फिर हम विकारों मंे नही फसते। ंमन में आसक्ती जागे तो प्रयास करे कि हम भक्ति की और जाए। यह कथा हमारे जीवन का चरित्र है इसको ध्यान से सुनना। बहुत समय की कीमत समझना उसको जानने का प्रयास करना। जिसके पास संतोष रूपी धन होता है जिसके पास एक रूपया भी है उसमें प्रसन्ज्ञनता है बहुत मिलने के बाद भी उसको संतोष नही है तो वह दुखी है।
जिसने अभिलाषा करी वो दुखी है और जिसने नही की वो सुखी होता है।
भगवान का भजन करने वाला, आनंदमय रहने वाला, शिवजी का भक्त
बडी मुश्किल से पांच दिन की कथा दूसरी चीजों को
एक-एक पल एक घडी का जो समय दिया है उसकाो अअगर कोई रोग लग जाता है मन में कहीं न टीस मन के अंदर कोई रोग लग जाता है तो उसका कोई इलाज नही है। उसका कोई इलााज है तो शिवमहापुरारण कथा ही है।
शरीर के रोग को औषणियणें से मिटाया जा सकहा है किंतु मन का जो रोग है उसको मिटाने के लिए कोई दूसारी औषधी नही है। केवल एक औषधी है धर्म ध्यान शिवमहापुराण कथा सुनने की। पने जीवन में उतार लो। शरीर में केाइ्र बामारी हो तो उसका इलाज भी संभव है। पर मन में
आठ दूरबीन से नजर रख रहे है, सीसीटीवी कैमरे
कथा पांडाल 11 हजार 350 वर्ग फीट का बढ़ाया गया। अब पांडाल में बैठने की क्षमता डेढ़ लाख हो गई

पांडाल बढ़ाने के बाद भी कई श्रद्धालूओं ने तपती धूप में खड़े रहकर कथा श्रवण की
जानकारी शिव महापुराण आयोजन के मीडिया प्रभारी गोवर्धन सिंह डोडिया खिलेड़ी ने दी।


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