गुरुग्राम, 30 नवंबर 2023: मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम के डॉक्टरों ने हाल ही में रैप्चर्ड एब्डॉमिनल एयोर्टिक एन्यूरिज़्म से पीड़ित एक 70 वर्षीय पुरुष का सफल इलाज किया। इस मरीज को लगातार पीठ में दर्द, बुखार, गंभीर हाइपोटेंशन और ठंडा पसीना बना हुआ था, इसलिए इसे हॉस्पिटल लाया गया था। उसे पिछले एक महीने से बुख़ार आ रहा था, जिसके लिए उसे एंटीबायोटिक दी जाती थी। उसका सीटी स्कैन करने पर पता चला कि उसके एयोर्टा की पिछली वॉल में एक छेद था, जिसकी वजह से खून पेट में रिस रहा था। उसकी हालत देqखकर डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, हेड, सीटीवीएस और सीनियर कार्डियेक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, डॉ. जीतुमोनी बैश्य के साथ उनकी पूरी टीम ने तुरंत मरीज़ के परिवार को परामर्श दिया और मरीज़ की इमरजेंसी सर्जरी करके संक्रमित एयोर्टा एवं खून के थक्कों को हटा दिया, और उसकी जगह एक प्रोस्थेटिक ग्राफ्ट लगा दिया।
माइकोटिक (संक्रमित) एन्यूरिज़्म एक दुर्लभ स्थिति है, जो केवल 0.7-3% एयोर्टिक एन्यूरिज़्म के मामलों में पाई जाती है। आर्टेरियल वॉल में संक्रमण बैक्टीरियल सीडिंग की वजह से होता है, जिसके कारण वैसेल की वॉल में फोकल ब्रेकडाउन हो जाता है। मरीज़ की ज़्यादा उम्र, हाइपरटेंशन, डायबिटीज़, क्रोनिक लिवर रोग, क्रोनिक किडनी रोग, हाइपोप्रोटीनेमिया और गंभीर एनीमिया जैसी कई बीमारियाँ साथ होने के कारण ऑपरेशन के बाद मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण का पालन किया गया। यह सर्जरी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि एयोर्टा रिएक्टिव टिश्यू की एक मोटी परत से ढँका हुआ था, जो वॉल के क्रोनिक संक्रमण के साथ था, इस कारण सर्जरी और ज़्यादा मुश्किल थी, ख़ासकर तब जब, अत्यधिक खून निकलने के कारण ब्लड प्रेशर कम हो गया था, और इमरजेंसी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। यह एक जानलेवा स्थिति होती है, जिसमें यदि समय पर पहचान करके उचित इलाज न मिल पाए, तो 99.9% मामलों में रोगी की मृत्यु हो जाती है।
इस सर्जरी की चुनौतियों के बारे में डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, कंसल्टैंट एवं हेड, सीटीवीएस, मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने कहा, “संक्रमित बड़ी रक्त वाहिनियों के अचानक फट जाने या एयोर्टा जैसी स्थिति जानलेवा होती है क्योंकि इस स्थिति में मरीज़ समय पर हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाते हैं, और अंदरूनी रक्तस्राव के कारण उनकी मौत हो जाती है। इस तरह की सर्जरी में बहुत अधिक जोखिम होता है, ख़ासकर जिन मरीज़ों में रक्तस्राव हो रहा होता है, उन्हें सुगम इंडक्शन के लिए सुरक्षित एनेस्थेसिया तकनीक की ज़रूरत होती है। विभिन्न अंगों में रोगों से पीड़ित वृद्ध मरीज़ों के बचने की संभावना बहुत कम होती है। इस सर्जरी में रक्त वाहिनी के संक्रमित हिस्से को पहचान कर निकाल दिया जाता है, और उसकी जगह ग्राफ्ट लगा दिया जाता है। इन मरीज़ों को कई बार रक्त चढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है, और ऑपरेशन के बाद विभिन्न अंगों के ख़राब होने की संभावना बहुत ज़्यादा होती है। मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में इस मरीज़ के लिए सुरक्षित एनेस्थेसिया तकनीक और योजनाबद्ध तरीक़े से तुरंत सर्जरी एवं ऑपरेशन के बाद तालमेल के साथ मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण ने इलाज को सफल बनाया।



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