जन भारत TV,मेरठ,सचिन कुमार गुप्ता,
मुम्बई की श्रद्धा वकार और आफताब के प्यार, मोहब्बत, लिव-इन-रिलेशनशिप, मर्डर के तरीके, शव को ठिकाने लगाने के लिए माइंड ऑफ ऑपरेंडी, धर्म, लव-जिहाद आदि तमाम ऐसे बिन्दु हैं जिन पर तमाम मीडिया, सोशल मीडिया में नये-नये चर्चे और खुलासे हो रहे हैं। पुलिस की जांच नित रोज नये बिन्दू खोज रही है। ऐसे ही एक बिन्दु की बात आज हम ‘‘जनभारत टीवी’’ की काॅलम में करना चाहते हैं, जो भारत के हर नागरिक के लिए अहम हैं लेकिन हम कभी स्वार्थ में, कभी समय की कमी का रोना रोकर, कभी भ्रष्टतंत्र की दुहाई देकर तो कभी जानकारी के अभाव में गलत नीयत रखने वालों के इरादों मे जाने-अनजाने अपनी सहभागिता रखते हैं।
दिल्ली पुलिस की जांच में यह बिन्दू भी सामने आया है कि श्रद्धा की हत्या करके उसके बाॅडी पार्टस को ठिकाने लगाने के लिए आफताब ने महरौली के जंगल में फलैट किराये पर लिया था और मकान मालिक ने किराया लेने के बाद आफताब का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया था। अब पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या आफताब ने मकान लेते वक्त धर्म छिपाया था।
दिल्ली से ही सटे एनसीआर की बात करें तो यहां शिक्षा का लेवल ठीक-ठाक होने के बावजूद हाईली एजुकेटेड परिवार अपने यहां घरेलू नौकर रखने से पहले उनका सत्यापन नहीं कराते। शिक्षा की बात इसलिए की गई क्योंकि पूरे उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर जहां 70 प्रतिशत के आसपास है तो वहीं मेरठ जनपद की साक्षरता दर 73 प्रतिशत जबकि गाजियाबाद जनपद में पुरूष और स्त्री साक्षरता की संयुक्त दर 80 प्रतिशत के आसपास है। तमाम रि प्यूटिड डाॅक्टर, इजीनियर, व्यापारी अपने यहां घरेलू नौकर नौकरानियों को दिल्ली की कम्पनियों के भरोसे हायर करते हैं और अपनी जीवन भर की पूंजी, अथाह दौलत और बेशकीमती दुधमुंहे बच्चों को उनके और सीसीटीवी कैमरों के भरोसे छोड़कर फिर पैसों की धुन में निकल जाते हैं।


मेरठ में के ही दो किस्से यह बताने के लिए काफी हैं कि किसी को बगैर वेरिफिकेशन के अपने मकान में किरायेदार या घरेलू नौकर-नौकरानी बनाकर रखना खतरनाक होता है। जाने माने डाॅक्टर अमिताभ गौतम के यहां हुई घटना का जिक्र करना जरूरी है। उस रोज डाॅक्टर अमिताभ गौतम अपने परिजनों के साथ मथुरा-वृंदावन की यात्रा पर थे। घर में दो नेपाली नौकरों और खाना बनाने वाली मेड के अलावा कोई नहीं था। सुबह का काम निपटा कर मेड अपने घर चली गई। शाम को डाॅक्टर साहब ने मेड को फोन करके बताया कि वह दस बजे तक पहुंच जायेंगे, खाना बनाकर रखना। मेड घर पहुंची तो ताला टूटा हुआ था। नेपाली नौकर घर में रखे हुए दस लाख रुपये और कीमती गहने और जेवर लेकर फरार हो चुके थे। पुलिस ने जांच कर नेपाल तक उनकी तलाश की लेकिन वे नेपाल से भी फरार मिले।


उससे कुछ दिनों पहले की बात है कि मेरठ के स्पोटर्स व्यापारी नेपाली नौकरों के भरोसे अपनी पत्नी को घर में अकेला छोड़कर व्यापार के सिलसिले में बाहर गये। पीछे से नौकरों ने उन्हें बेहोश करके करीब बीस लाख रूपये लूटे और नेपाल फरार हो गये। वे भी पुलिस की गिरफत में नहीं आये।
अलीगढ़ के क्वार्सी के रामसनेही नगर में परचून कारोबारी दिनेश के बेटे का 20 जनवरी 2022 को उन्हीं के किरायेदार जितेन्द्र ने फिरौती के लिए अपहरण कर लिया। हालांकि पुलिस ने आरोपित को आगरा से दबोचकर बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया।


ऐसे तमाम अपराधों से हिन्दुस्तान के अखबारों के पन्ने रंगे पड़े हैं लेकिन जब तक अपराधी हमारी गर्दन तक न पहुंच जाये कोई अपने किरायेदारों को जानना नहीं चाहता जबकि मकान में रहने वाले किरायेदार को सत्यापन अनिवार्य है। इसके लिए पुलिस थाने में जाकर अथवा सम्बन्धित प्रदेश की पुलिस की वेबसाइट पर जाकर किरायेदार फार्म भरना होता है। फार्म में घर में रखे जाने वाले नौकर अथवा किरायेदार का पासपोर्ट साइज फोटो, नाम-पते को सत्यापित करने वाली फोटो आईडी जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, ड्राईविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, बैंक पासबुक एवं मोबाइल नम्बर आदि की डिटेल भरनी होती है।
हालांकि बगैर सत्यापन के किसी को किरायेदार या नौकर रखने पर आपकी सुरक्षा सबसे पहले प्रभावित होती है और अनहोनी होने पर कानून भी आपको ही सजा देता है लेकिन इसके बावजूद गैर जिम्मेदारी भरा रवैया इसलिए भी है क्योंकि कानूनी प्रावधान होने के बावजूद वैरिफिकेशन नहीं कराने वालों के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती।


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By admin

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